भूख हड़ताल पर बैठें छात्र की हालत बिगड़ी ICU में भर्ती। देर रात एक और छात्र का निष्कासन।

0

वर्धा : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में फेसबुक पोस्ट पर निलम्बन किये जाने से प्रताड़ित भूख हड़ताल पर बैठे छात्र विवेक मिश्रा की हालत ज्यादा खराब हो जाने पर उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया, विवेक की बिगड़ती स्थिति को देखतें हुए डॉक्टर ने उसे ICU वार्ड में भर्ती कर दिया। हिंदी विश्वविद्यालय प्रशासन ने तानाशाही की हद को पार करतें हुए छात्र विवेक के निलंबन को निष्काषन में तब्दील कर दिया तथा उसके साथ धरने पर सहयोग देने और गांधी जी की पुण्यतिथि न मानने देने पर विश्वविद्यालय प्रशासन का विरोध करने को आधार बनाते हुए स्नातक विदेशी भाषा के छात्र जतिन चौधरी का भी देर रात निष्काषन कर दिया गया। रात में अचानक से निष्कासित किये जाने से द्रवित छात्र जब प्रशासन को जवाब-तलब करने के लिए प्रशासनिक भवन की तरफ जाने लगे तो रास्ते में सुरक्षा अधिकारी और दर्जनों की संख्या में गार्डों ने छात्रों को सामूहिक रूप से मारना प्रारंभ कर दिया जिसमें दिनेश, जीत , आदित्य स्वराज और विशाल के साथ भी मारपीट की गई, प्रशासनिक भवन के पास घटित इस घटना में छात्रों को गंभीर चोट भी आई है जिसकी प्राथमिकी छात्रों द्वारा रामनगर, वर्धा थाने में दर्ज करवा दी गयी है। निष्काषित किये गए छात्र जतिन चौधरी ने बताया कि “” उनका निष्काषन कुलसचिव द्वारा निजी खुन्नस के तहत किया गया है पिछले दिनों निष्काषित छात्र को नोटिस दिए जाने के तुरंत बाद जब प्रशासन के लोग आए तो हम और हमारे साथियों ने निलबंन किये जाने का कारण पूछा और विश्वविद्यालय के अधिनियम की अवहेलना करने की बात कही जिससे प्रशासन के अधिकारी संदीप वर्मा ने मुझे देख लेने की धमकी के साथ मुझे गर्दन से पकड़ कर दीवार में दबा दिया और मेरे साथियों द्वारा हस्तक्षेप किये जाने पर मुझे छोड़ा तथा बाद में देख लेने की धमकी दी, यह निष्काषन उसी खुन्नस का हिस्सा है।” अगर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करके मुझे न्याय नही दिया गया तथा मेरा निष्कासन वापस नही लिया गया तो मैं भी साथी विवेक के साथ भूख-हड़ताल पर बैठने को विवश रहूंगा।विश्वविद्यालय प्रशासन कि अमानवीयता का स्तर देखिए कि जिस समय निलंबित छात्र विवेक मिश्र अपने अधिकारों के लिए भूख – हड़ताल करतें हुए मरणासन्न स्थिति में पहुच गया था ऐसे वक्त में उसकी चिकित्सकिय सहायता करने के स्थान पर रात में उसका निष्काषन पत्र जारी कर दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस अमानवीय कृत के विरुद्ध विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं एवं उनके परिजनों में भयंकर आक्रोश व्याप्त हो गया है।

दूसरी तरफ प्रशासन द्वारा मारपीट के शिकार दीपक यादव जिन्हें सुरक्षा अधिकारी सहित लगभग 30 गार्डों ने मारा-पीटा है उनका कहना है कि गांधी जी के सहादत दिवस पर प्रशासन ने हमे पुण्यतिथि मनाने से रोका था जो  विश्वविद्यालय की परंपरा के खिलाफ था मैंने इस मामले में प्रशासन का विरोध किया इस कारण मुझे प्रशासन द्वारा मारा-पीटा गया। विश्वविद्यालय के कुलपति और कुलसचिव अपने खिलाफ उठाने वाली हर आवाज को बिना की कारण लगातार मारते-पिटतें रहें हैं जिसका मैं शिकार हो गया हूं। दीपक द्वारा इस घटना की प्राथमिकी पुलिस थाने में दर्ज करवा दी गयी हैं।

 सहासिक न्युज / 24 वर्धा 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed

error: Content is protected !!